द्वापर चार युगों में तीसरा युग है।
इसका आरम्भ भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी बृहस्पतिवार से होता है।
इसकी अवधि पुराणों में आठ लाख चौसठ हज़ार वर्ष मानी गई है।
मत्स्य पुराणानुसार द्वापर लगते ही धर्म का क्षय आरंभ हो जाता है।
युगों में इसे 'वैश्य' युग कहते हैं जिसमें युद्धों की पूजा होती हैं अर्थात् अनेक युद्ध होते हैं।
पराशर ऋषि ने इस युग में अपने पुत्र को भागवत की शिक्षा दी थी।
द्वापर युग में मनुष्यों की आयु 2000 वर्ष की थी।
भगवान कृष्ण ने इसी युग में अवतार लिया था।